भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यासोदा तेरे लाल ने मेरी दी है मटकिया फोड़ / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:38, 9 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=फा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यासोदा तेरे लाल ने मेरी दी है मटकिया फोड़
तनक नहीं सरमावे दिखे तेरा नन्द किसोर
हाथ पकड़ कर झटका मारा नहीं चले कुछ जोर
मक्खन का तो मक्खन खाया रास्ता लिया रोक
क्या बना लें इस छलिया का ऐसा चित चोर