भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

युग-नाद / हरिवंशराय बच्चन

7 bytes added, 03:09, 13 दिसम्बर 2010
दानवी विनत, वनिष्‍ट परास्‍त-
दिग्दिगंत दिग् दिगंत से
ध्‍वनित प्रतिध्‍वनित होता है यह
परदेशी साशन डोला था-
:::करो या मरो! मरो या करो।
:::कुछ न गुज़रो, कुछ न गुज़रो।
195
edits