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यों तो अनजान लगता रहे / गुलाब खंडेलवाल
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यों तो अनजान लगता रहे
प्यार उस दिल में जगता रहे
कैसा दुश्मन कि सर काट ले
और प्यारा भी लगता रहे!
हम तो मरते हैं इस झूठ पर
उम्र भर कोई ठगता रहे
ख़ून का ही हमारे क़सूर
हाथ क्यों उनके रँगता रहे
कोई आयेगा तड़के गुलाब!
दिल से कह दो कि जगता रहे