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"राज अपने तुमको बताती गयी / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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राज अपने तुमको बताती गयी
 
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नजदीक दिल के यूँ आती गयी ।
 
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हर दम रहता तेरा ही ख्याल
 
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यूँ ख्वाब तेरे सजाती गयी ।
 
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बंदिश तो न थी तेरे प्यार में
 
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बन्धन में कैसे समाती गयी ?
 
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मंजिल को पाने की ही चाह में
 
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कदमों को अपने बढ़ाती गयी ।
 
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तुम जो मिले ज़िदंगी में प्रिये
 
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दुनिया मैं अपनी बसाती गयी ।
 
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14:40, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

राज अपने तुमको बताती गयी
नजदीक दिल के यूँ आती गयी ।

हर दम रहता तेरा ही ख्याल
यूँ ख्वाब तेरे सजाती गयी ।

बंदिश तो न थी तेरे प्यार में
बन्धन में कैसे समाती गयी ?

मंजिल को पाने की ही चाह में
कदमों को अपने बढ़ाती गयी ।

तुम जो मिले ज़िदंगी में प्रिये
दुनिया मैं अपनी बसाती गयी ।