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"राधा हरि को देख न पाती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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बेसुध-सी फिरती पनघट पर | बेसुध-सी फिरती पनघट पर | ||
उठ-उठकर सुर की आहट पर | उठ-उठकर सुर की आहट पर | ||
− | वन को दौड़ी जाती | + | वन को दौड़ी जाती |
जहां गए थे श्याम छोड़कर | जहां गए थे श्याम छोड़कर | ||
फिर-फिर जाकर उसी मोड़ पर | फिर-फिर जाकर उसी मोड़ पर | ||
उँगली पर दिन जोड़-जोड़कर | उँगली पर दिन जोड़-जोड़कर | ||
− | आँसू विफल बहाती | + | आँसू विफल बहाती |
जब सोते में भी हरि आये | जब सोते में भी हरि आये | ||
शीश मुकुट पट पीट सजाये | शीश मुकुट पट पीट सजाये | ||
भयवश, सपना टूट न जाए | भयवश, सपना टूट न जाए | ||
− | पलकें नहीं उठाती | + | पलकें नहीं उठाती |
राधा हरि को देख न पाती | राधा हरि को देख न पाती | ||
यद्यपि आठ प्रहर कानों में मुरली की ध्वनि आती | यद्यपि आठ प्रहर कानों में मुरली की ध्वनि आती | ||
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04:49, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
राधा हरि को देख न पाती
यद्यपि आठ प्रहर कानों में मुरली की ध्वनि आती
यमुना-तट पर, वंशीवट पर
बेसुध-सी फिरती पनघट पर
उठ-उठकर सुर की आहट पर
वन को दौड़ी जाती
जहां गए थे श्याम छोड़कर
फिर-फिर जाकर उसी मोड़ पर
उँगली पर दिन जोड़-जोड़कर
आँसू विफल बहाती
जब सोते में भी हरि आये
शीश मुकुट पट पीट सजाये
भयवश, सपना टूट न जाए
पलकें नहीं उठाती
राधा हरि को देख न पाती
यद्यपि आठ प्रहर कानों में मुरली की ध्वनि आती