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"रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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<poem>रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर भक्त-भ्रमर मन-हारक।
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मंगल मूल मधुर मंजुल मृदु दिय सहज सुख-कारक॥
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रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर भक्त-भ्रमर मन-हारक।
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              मंगल मूल मधुर मंजुल मृदु दिय सहज सुख-कारक॥
 
नित्य निरामय निर्मल अबिरल ललित कलित सुभ सोभित।
 
नित्य निरामय निर्मल अबिरल ललित कलित सुभ सोभित।
पाप-ताप-मद-मोह-हरन, मुनि-मन-सुचि-करन सुलोभित॥
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              पाप-ताप-मद-मोह-हरन, मुनि-मन-सुचि-करन सुलोभित॥
 
नील-स्याम-तनु, धनु कर सोहत, बरद हस्त भय नासत।
 
नील-स्याम-तनु, धनु कर सोहत, बरद हस्त भय नासत।
सुमन-माल-सुरभित, मुक्त-मनि-हार लसत दुति भासत॥
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              सुमन-माल-सुरभित, मुक्त-मनि-हार लसत दुति भासत॥
 
पीत बसन सौंदर्य-सौर्य-निधि, भाल तिलक अति भ्राजत।
 
पीत बसन सौंदर्य-सौर्य-निधि, भाल तिलक अति भ्राजत।
अखिल भुवनपति, सुषमा-श्री लखि, काम कोटि-सत लाजत॥
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            अखिल भुवनपति, सुषमा-श्री लखि, काम कोटि-सत लाजत॥
 
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11:29, 10 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर भक्त-भ्रमर मन-हारक।
              मंगल मूल मधुर मंजुल मृदु दिय सहज सुख-कारक॥
नित्य निरामय निर्मल अबिरल ललित कलित सुभ सोभित।
              पाप-ताप-मद-मोह-हरन, मुनि-मन-सुचि-करन सुलोभित॥
नील-स्याम-तनु, धनु कर सोहत, बरद हस्त भय नासत।
              सुमन-माल-सुरभित, मुक्त-मनि-हार लसत दुति भासत॥
पीत बसन सौंदर्य-सौर्य-निधि, भाल तिलक अति भ्राजत।
             अखिल भुवनपति, सुषमा-श्री लखि, काम कोटि-सत लाजत॥