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राम तन राम मन राम ही हमारो धन
आठो याम राम नाम राम ही सो काम हे।
प्राण के आधार सुकुमार है हमारो चार
इनका के देखि-देखि जीवन बिसराम हे।
लड़िका नदान नघुनाथ मेरे प्यारे हाथ
समर में ले जाना इनको बिल्कुल बेकाम है।
द्विज महेन्द्र रामचन्द्र सबसे मोहि प्राणनाथ,
इन्हीं के प्रभा से माने अवध सुरधाम है।