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"रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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सुना विघ्न है 'रा' अक्षर में
 
सुना विघ्न है 'रा' अक्षर में
 
हार गयी हूँ समझाकर मैं  
 
हार गयी हूँ समझाकर मैं  
तुम कुछ युक्ति लगाओ  
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              तुम कुछ युक्ति लगाओ  
 
 
 
 
 
'यहाँ आप ही सौ झगड़े  हैं  
 
'यहाँ आप ही सौ झगड़े  हैं  
 
इनके बल पर सभी खड़े  हैं
 
इनके बल पर सभी खड़े  हैं
 
और गोप ये गले पड़े हैं,
 
और गोप ये गले पड़े हैं,
"ब्रज को हरि लौटाओ"
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              "ब्रज को हरि लौटाओ"
 
 
 
 
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
 
भय है प्रीति न जागे सोयी  
 
भय है प्रीति न जागे सोयी  
 
कहीं एक राधा है कोई
 
कहीं एक राधा है कोई
उससे इन्हें बचाओ'
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                  उससे इन्हें बचाओ'
  
 
रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ  
 
रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ  
 
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ  
 
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ  
 
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04:50, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ

'घुसे न शनि मंगल के घर में
सुना विघ्न है 'रा' अक्षर में
हार गयी हूँ समझाकर मैं
               तुम कुछ युक्ति लगाओ
 
'यहाँ आप ही सौ झगड़े  हैं
इनके बल पर सभी खड़े  हैं
और गोप ये गले पड़े हैं,
               "ब्रज को हरि लौटाओ"
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
भय है प्रीति न जागे सोयी
कहीं एक राधा है कोई
                  उससे इन्हें बचाओ'

रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ