भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
 
भय है प्रीति न जागे सोयी  
 
भय है प्रीति न जागे सोयी  
कहीं एक है राधा कोई
+
कहीं एक राधा है कोई
 
उससे इन्हें बचाओ'
 
उससे इन्हें बचाओ'
  

01:00, 20 जुलाई 2011 का अवतरण


रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ

'घुसे न शनि मंगल के घर में
सुना विघ्न है 'रा' अक्षर में
हार गयी हूँ समझाकर मैं
तुम कुछ युक्ति लगाओ
 
'यहाँ आप ही सौ झगड़े  हैं
इनके बल पर सभी खड़े  हैं
और गोप ये गले पड़े हैं,
"ब्रज को हरि लौटाओ"
 
क्यों स्वामी ने यों सुधि खोयी!
भय है प्रीति न जागे सोयी
कहीं एक राधा है कोई
उससे इन्हें बचाओ'

रुक्मिणी बोली, -- 'पत्रा लाओ
पूरब की यात्रा के संकट पंडित इन्हें बताओ