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"लगा न होँठों से प्याला तो एक बार कभी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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नज़र आइने से मिलाता तो होगा!
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लगा न होँठों से प्याला तो एक बार कभी
कभी वह भी घूँघट उठाता तो होगा!
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नज़र से हमने मगर पी ही ली उधार कभी
  
नहीं मुड़के देखे इधर जानेवाला
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नसीब हो न सका चैन दो घड़ी के लिए
मगर दिल में आँसू बहाता तो होगा!
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किसीने दिल का कभी छू दिया था तार कभी
  
जो तूफ़ान में नाव बढ़ती रही है
+
'गए जो फूल ही कुम्हला तो आके क्या होगा!'
कोई डाँड़ इसकी चलाता तो होगा!
+
हवा ये कहना, मिले तुझको जो बहार कभी
  
कोई क्यों लगाता है फेरे यहाँ के
+
हम उनके प्यार को समझें तो किस तरह समझें
कभी यह ख़याल उसको आता तो होगा!
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कभी नज़र में, कभी दिल में, दिल के पार कभी
  
गुलाब! अपनी रंगीनियाँ पाके तुझमें
+
हमें तो चैन से दुनिया ने बैठने न दिया
कभी दिल कोई झूम जाता तो होगा!!
+
हुआ गुलाब का काँटों में ही सिँगार कभी
 
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02:21, 10 जुलाई 2011 का अवतरण


लगा न होँठों से प्याला तो एक बार कभी
नज़र से हमने मगर पी ही ली उधार कभी

नसीब हो न सका चैन दो घड़ी के लिए
किसीने दिल का कभी छू दिया था तार कभी

'गए जो फूल ही कुम्हला तो आके क्या होगा!'
हवा ये कहना, मिले तुझको जो बहार कभी

हम उनके प्यार को समझें तो किस तरह समझें
कभी नज़र में, कभी दिल में, दिल के पार कभी

हमें तो चैन से दुनिया ने बैठने न दिया
हुआ गुलाब का काँटों में ही सिँगार कभी