भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लफ़्ज़ का दरिया उतरा दश्त-ए-मआनी फैला / अब्दुल अहद 'साज़'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अब्दुल अहद 'साज़' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:15, 24 मार्च 2020 के समय का अवतरण

लफ़्ज़ का दरिया उतरा दश्त-ए-मआनी फैला
मिस्रा-ए-ऊला ही में मिस्रा-ए-सानी फैला

कहीं छुपा होता है दवाम किसी लम्हे में
यूँ तो है सदियों पे जहान-ए-फ़ानी फैला

दानाई की दुनिया तंग है पेचीदा है
या-रब कुछ आसानी कर नादानी फैला

दामन-ए-तर ही में तो है अश्कों की नमी भी
रहने दे धरती पर यूँही पानी फैला

मँअफ़तें ही दर्ज हैं सब की फ़र्द-ए-अमल में
वरक़ कुशादा कर थोड़ी नुक़सानी फैला

किरदारों की पहचानें गुम होने लगी हैं
मेरे लेखक इतना भी न कहानी फैला