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लहर तीर पर पहुँचकर ख़ुशी से चिल्लायी, -- / गुलाब खंडेलवाल
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लहर तीर पर पहुँचकर ख़ुशी से चिल्लायी, --
'मैं जीवन की बाज़ी जीत गयी,'
तभी सागर के तल से आवाज़ आयी--
'अब लौट भी आ,
तेरी अवधि बीत गयी!'