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"लाठी में गुण बहुत हैं / गिरिधर" के अवतरणों में अंतर

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लाठी में हैं गुण बहुत , सदा रखिये संग ।
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लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग।
गहरि नदी, नाली जहाँ , तहाँ बचावै अंग ।।
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गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग।।
  
तहाँ बचावै अंग , झपटि कुत्ता कहँ मारे  ।
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तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारे।
दुश्मन दावागीर होय , तिनहूँ को झारै ।।
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दुश्मन दावागीर होय, तिनहूँ को झारै।।
  
कह गिरिधर कविराय , सुनो हे दूर के बाठी ।
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कह गिरिधर कविराय, सुनो हे दूर के बाठी।
सब हथियार छाँडि , हाथ महँ लीजै लाठी ।।
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सब हथियार छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी।।
 
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16:26, 10 जून 2014 के समय का अवतरण

लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग।
गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग।।

तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारे।
दुश्मन दावागीर होय, तिनहूँ को झारै।।

कह गिरिधर कविराय, सुनो हे दूर के बाठी।
सब हथियार छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी।।