भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लाल रंग बरसत चारों ओर / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह
 
|संग्रह
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatPad}}
 
<poem>
 
<poem>
 
लाल रंग बरसत चारों ओर।
 
लाल रंग बरसत चारों ओर।

10:45, 3 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

लाल रंग बरसत चारों ओर।
नंदगोपाल राधिका जय-जय, नांचे नंद किशोर।
वृंदावन बृजधाम धाम में, शुभ वसंत बस रही श्याम में,
हरियाली छाई मनमोहन, देखो तो हर ठौर।
वृजबाला गोपी व गवाला, रंग रंग का ओढ़ दुसाला,
यमुना तट पर गायरहे सब, होकर प्रेम विभोर।
लहरों में श्यामा लहराई, बंसी श्यामा श्याम बजाई,
कहे शिवदीन रसिक जन साधू, मधुरे बोले मोर।
रंग गुलाल उडाने वारे, श्रीराधा के हो तुम प्यारे,
पूरण ब्रह्म रसिला कृष्णा, मन मोहक चित चोर।