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"वह भेजता है तुम्हें / अर्जुनदेव चारण" के अवतरणों में अंतर

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आज तक
 
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इस धरती पर अपनी।
 
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'''अनुवाद :-  कुन्दन माली'''
 
'''अनुवाद :-  कुन्दन माली'''
 
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13:00, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण


अवतार तो
युग-युगों के बाद
एक बार ही
धारण करता है अपना वेश

वह जानता है यह बात

इसीलिये
बार-बार
तुम्हें भेजता है मां

दुःख भोगने वाला
इसके सिवाय कौन जनमा है
आज तक
इस धरती पर अपनी।

अनुवाद :- कुन्दन माली