भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (झंडा गीत) / श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("झण्डा-गायन / श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने झण्डा-गायन / श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे [[विजयी विश्व तिरंगा...) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatGeet}} | {{KKCatGeet}} | ||
− | < | + | {{KKAnthologyDeshBkthi}} |
− | + | <poem> | |
− | + | विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, | |
− | सदा शक्ति | + | झंडा ऊंचा रहे हमारा। |
− | प्रेम | + | |
− | वीरों को | + | सदा शक्ति बरसाने वाला, |
− | + | प्रेम सुधा सरसाने वाला, | |
− | + | ||
− | इस | + | वीरों को हरषाने वाला, |
− | + | मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा...। | |
− | + | ||
− | + | स्वतंत्रता के भीषण रण में, | |
− | + | लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में, | |
− | आओ | + | |
− | देश-धर्म पर बलि बलि जाओ, | + | कांपे शत्रु देखकर मन में, |
+ | मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा...। | ||
+ | |||
+ | इस झंडे के नीचे निर्भय, | ||
+ | लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय, | ||
+ | |||
+ | बोलें भारत माता की जय, | ||
+ | स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा...। | ||
+ | |||
+ | आओ! प्यारे वीरो, आओ। | ||
+ | देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ, | ||
+ | |||
एक साथ सब मिलकर गाओ, | एक साथ सब मिलकर गाओ, | ||
− | + | प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा...। | |
− | + | ||
इसकी शान न जाने पाए, | इसकी शान न जाने पाए, | ||
चाहे जान भले ही जाए, | चाहे जान भले ही जाए, | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
+ | विश्व-विजय करके दिखलाएं, | ||
+ | तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...। | ||
+ | |||
+ | विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, | ||
+ | झंडा ऊंचा रहे हमारा। | ||
'''रचनाकाल : 1924''' | '''रचनाकाल : 1924''' | ||
</poem> | </poem> |
15:52, 1 मई 2015 के समय का अवतरण
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा...।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा...।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा...।
आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा...।
इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
रचनाकाल : 1924