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|भाषा=पंजाबी
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<poem>असीं एथे इथ्थे ते ढोला छाओनी
एहनाँ अक्खीयाँ दी सड़क बनाओनी
चन्न माही आवना
जीवें ढोला !
जित्थे खिलारिया ई उत्थे खलीआँ !
'''भावार्थ'''
--'हम यहाँ हैं और ढोला छावनी में है
इन आँखों को सड़क बनाना बनानी है
चांद-सा प्रियतम आएगा
जीते रहो ढोला !
आम की फाँकें
जहाँ तुमने मुझे खड़ी होने को कहा था, वहीं खड़ी हूँ !'
</poem>