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"वो चाहने वालों को मुखातिब नहीं करता / मोहसिन नक़वी" के अवतरणों में अंतर
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− | वो चाहने | + | वो चाहने वालों को मुखातिब नहीं करता |
− | और तर्क-ए-तालुक की मैं वजाहत | + | और तर्क-ए-तालुक की मैं वजाहत नहीं करता |
− | वो अपनी जफ़ाओं पे नादिम | + | वो अपनी जफ़ाओं पे नादिम नहीं होता |
− | मैं अपनी वफाओं की तिजारत | + | मैं अपनी वफाओं की तिजारत नहीं करता |
− | खुशबू किसी ताश-हीर की मुहताज | + | खुशबू किसी ताश-हीर की मुहताज नहीं होती |
− | सच्चा हूँ मगर अपनी वकालत | + | सच्चा हूँ मगर अपनी वकालत नहीं करता |
एहसास की सूली पे लटक जाता हूँ अक्सर | एहसास की सूली पे लटक जाता हूँ अक्सर | ||
− | मैं जब्र-ए-मुसल्सल की शिकायत | + | मैं जब्र-ए-मुसल्सल की शिकायत नहीं करता |
मैं अजमत-ए-इन्सान का कायल तो हूँ मोहसिन | मैं अजमत-ए-इन्सान का कायल तो हूँ मोहसिन | ||
− | लेकिन कभी बन्दों की इबादत | + | लेकिन कभी बन्दों की इबादत नहीं करता |
20:35, 25 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
वो चाहने वालों को मुखातिब नहीं करता
और तर्क-ए-तालुक की मैं वजाहत नहीं करता
वो अपनी जफ़ाओं पे नादिम नहीं होता
मैं अपनी वफाओं की तिजारत नहीं करता
खुशबू किसी ताश-हीर की मुहताज नहीं होती
सच्चा हूँ मगर अपनी वकालत नहीं करता
एहसास की सूली पे लटक जाता हूँ अक्सर
मैं जब्र-ए-मुसल्सल की शिकायत नहीं करता
मैं अजमत-ए-इन्सान का कायल तो हूँ मोहसिन
लेकिन कभी बन्दों की इबादत नहीं करता