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Kavita Kosh से
उसमें विचारधारा है तो बेहतर मनुष्य की भाषा है
यदि वर्तमान की चिंता है तो स्वप्न और अभिलाषा है।
मानबहादुर की कविता में जीवन की सच्चाई होती
अंबर -सा विस्तार दिखे तो सागर की गहराई होती
फूलों की ही बात नहीं है काँटों से भी प्यार वहाँ है
सुख का ही सम्मान नहीं है दुख की का भी श्रृंगार वहाँ है
ज्ञान और विज्ञान वहाँ तो आडम्बर का धब्बा भी है
वहाँ ‘रामफल की कंठी’, ‘ठकुराइन का पनडब्बा’ भी है।