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वो वक्त कभी तो आएगा / सपना मांगलिक

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कोहरे की गिरफ्त से निकलकर
कुछ पल में ही, आज़ाद हो जाएगा
बिखरा के सुनहरी किरणें सूरज
जग में उजियारा फैलायगा
वो वक़्त कभी तो आएगा
सूखी धरती तपती रेतों पर
बदरी को रहम तो आएगा
उमड़-घुमड़ फिर गरज गरजकर
बादल सावन बरसायेगा
वो वक़्त कभी तो आएगा
अमावस की रात से बचकर
चाँद भी चांदनी विख्ररायेगा
भूल अन्धेरा पूर्णिमा के दिन
पूर्ण चाँद बन जाएगा
वो वक़्त कभी तो आएगा
जब निजहित भूलके जन-जन
राष्ट्रहित को धर्म बनाएगा
दूर होगा भ्रष्टाचार और आतंक तब
देश अपना स्वर्ग बन जाएगा
वो वक़्त कभी तो आएगा