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"शपथ गीत-1 / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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छोटे-छोटे सीने अपने लेकिन हैं चट्टानों के
 
छोटे-छोटे सीने अपने लेकिन हैं चट्टानों के
 
किसमें ताक़त है जो रोके अपने बढ़ते हुए क़दम ।
 
किसमें ताक़त है जो रोके अपने बढ़ते हुए क़दम ।
                        वन्दे मातरम । वन्दे मातरम
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                      वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
  
 
जिस दिन धरती हमें पुकारे आगे बढ़ते जाएँगे
 
जिस दिन धरती हमें पुकारे आगे बढ़ते जाएँगे
 
भारत के बच्चोंं में कितना पानी है दिखलाएँगे
 
भारत के बच्चोंं में कितना पानी है दिखलाएँगे
 
बार-बार तो कभी नहीं आता कुर्बानी का मौसम ।
 
बार-बार तो कभी नहीं आता कुर्बानी का मौसम ।
                         वन्दे मातरम । वन्दे मातरम
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                         वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
  
 
अपनी धरती, अपने नभ को अपने सिन्धु-सिवानों को
 
अपनी धरती, अपने नभ को अपने सिन्धु-सिवानों को
 
अपने पर्वत, अपने झरने, अपने नदी-मुहानों को
 
अपने पर्वत, अपने झरने, अपने नदी-मुहानों को
 
हम क्यों छोटा होने देंगे जब तक है साँसों में दम ।
 
हम क्यों छोटा होने देंगे जब तक है साँसों में दम ।
                          वन्दे मातरम । वन्दे मातरम
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                        वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
 
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11:25, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

माटी जब कर्ज़ा माँगेगी ख़ून-पसीना देंगे हम
                   वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।

आँधी के हैं पाँव हमारे, हाथ मिले तूफ़ानों के
छोटे-छोटे सीने अपने लेकिन हैं चट्टानों के
किसमें ताक़त है जो रोके अपने बढ़ते हुए क़दम ।
                       वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।

जिस दिन धरती हमें पुकारे आगे बढ़ते जाएँगे
भारत के बच्चोंं में कितना पानी है दिखलाएँगे
बार-बार तो कभी नहीं आता कुर्बानी का मौसम ।
                        वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।

अपनी धरती, अपने नभ को अपने सिन्धु-सिवानों को
अपने पर्वत, अपने झरने, अपने नदी-मुहानों को
हम क्यों छोटा होने देंगे जब तक है साँसों में दम ।
                         वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।