भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्दों के मध्य का प्रसार / कुमार विमलेन्दु सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 8 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार विमलेन्दु सिंह |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शब्दों के मध्य का प्रसार
मिल जाए अगर
कभी स्थल स्वरूप
आलय वही बनाऊँगा
पूर्ण हुए श्रवण से
अपेक्षित कथन के बीच
एक नई भूमि बिछाऊँगा
एक गवाह होगा
निकल जाने का
चिंता के लिए
एक वातायन से
तृप्ति को बुलाऊँगा

तुम, मैं और अर्थपूर्ण शान्ति
वही रहेंगे
समय से परे
मिल जाए अगर कभी
स्थल स्वरूप
शब्दों के मध्य का प्रसार