भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शर्त / अब्दुल्ला पेसिऊ

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:46, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अब्दुल्ला पेसिऊ |संग्रह= }} Category:अरबी भाषा <Poem> ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अब्दुल्ला पेसिऊ  » शर्त

नहीं
मैं बिल्कुल नहीं हूँ विरोधी
तानाशाहों का

उन्हें फैला लेने दो पग-पग पर अपने पैर
सम्पूर्ण विश्व में
ईश्वर के प्रतिबिंब की तरह

पर
एक ही शर्त रहेगी मेरी-
बन जाने दो तानाशाह
दुनिया के तमाम बच्चों को।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र