भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शाखे-नाज़ुक पे आशियाना है / बसंत देशमुख" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बसंत देशमुख }} {{KKParichay |चित्र= |नाम=बसंत देशमुख |उपना...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=बसंत देशमुख
+
|रचनाकार=बसंत देशमुख  
}}
+
|संग्रह=
{{KKParichay
+
|चित्र=
+
|नाम=बसंत देशमुख
+
|उपनाम=
+
|जन्म=११ जनवरी १९४२(बसंत पंचमी)
+
|जन्मस्थान=ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा) जिला - दुर्ग (छत्तीसगढ़)
+
|कृतियाँ=[[मुखरित मौन ( काव्य संग्रह) / बसंत देशमुख | मुखरित मौन ( काव्य संग्रह)]], [[गीतों की बस्ती कंहाँ पर बसायें ( काव्य संग्रह)/ बसंत देशमुख | गीतों की बस्ती कंहाँ पर बसायें ( काव्य संग्रह)]], [[सनद रहे ( काव्य संग्रह) / बसंत देशमुख | सनद रहे ( काव्य संग्रह)]], [[धुप का पता (ग़ज़ल संग्रह) / बसंत देशमुख | धुप का पता (ग़ज़ल संग्रह)]],[[लिखना हाल मालूम हो (मुक्तक - संग्रह) / बसंत देशमुख | लिखना हाल मालूम हो (मुक्तक - संग्रह)]]
+
|विविध=मनोज प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें हिंदुस्थानी' में ग़जलें समाहित,वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें दुष्यंत के बाद' में ग़जलें समाहित,कवितायें बंगला भाषा में अनुदित एवं 'अदल बदल' मासिक कोलकाता के अंकों में प्रकाशित
+
|अंग्रेज़ीनाम=Basant Deshmukh
+
|जीवनी=[[बसंत देशमुख / परिचय]]
+
 
}}
 
}}
  
रूखे- तूफ़ान वहशियाना है<br />
+
<Poem>
शाखे-नाज़ुक पे आशियाना है<br />
+
  
मौत आई किराये के घर में<br />
+
रुख़े-तूफ़ान वहशियाना है
सिर्फ़ दो गज पे मालिकाना है<br />
+
शाखे-नाज़ुक पे आशियाना है
 +
 
 +
मौत आई किराए के घर में
 +
सिर्फ़ दो गज पे मालिकाना है
 
   
 
   
ज़र्रे ज़र्रे पे जलजला होगा<br />
+
ज़र्रे-ज़र्रे पे ज़लज़ला होगा
ये ख़यालात सूफियाना है<br />
+
ये ख़यालात सूफ़ियाना है
  
वक्त सोया है तान के चादर<br />
+
वक़्त सोया है तान के चादर
किधर है पाँव कंहाँ सिरहाना है<br />
+
किधर है पाँव कहाँ सिरहाना है
  
सिरफिरे लोग जहाँ हैं बसते<br />
+
सिरफिरे लोग जहाँ हैं बसते
उन्ही के दरमियाँ ठिकाना है<br />
+
उन्ही के दरमियाँ ठिकाना है
 +
</poem>

20:07, 20 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण


रुख़े-तूफ़ान वहशियाना है
शाखे-नाज़ुक पे आशियाना है

मौत आई किराए के घर में
सिर्फ़ दो गज पे मालिकाना है
 
ज़र्रे-ज़र्रे पे ज़लज़ला होगा
ये ख़यालात सूफ़ियाना है

वक़्त सोया है तान के चादर
किधर है पाँव कहाँ सिरहाना है

सिरफिरे लोग जहाँ हैं बसते
उन्ही के दरमियाँ ठिकाना है