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शाप / निदा नवाज़

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(शहीद मशीर-उल-हक और पाश के हर बच्चे के नाम)

मत रो, मुन्ने
तुम्हारे पिता-का सा पाप
मैंने भी किया
और समय का शाप
मैं भी झेलूँगा
तुम कल
मेरे बच्चों के संग
जी भर कर रोना.