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15:28, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
शाम जब पीने को बैठे याद तेरी आ गई
जख़्मे दिल सीने को बैठे याद तेरी आ गई
भूलना तुझ को जो चाहा खो के अपने आप में
ख़ुद से हम मिलने को बैठे याद तेरी आ गई
हमने सोचा मौत को यूँ मात दे देंगे अभी
चाल जब चलने को बैठे याद तेरी आ गई
जब किसी हमदर्द ने पूछा कहो क्या हाल है
हाले दिल कहने को बैठे याद तेरी आ गई
देख ले ‘इरशाद’ मैं तेरे बिना पल-पल मरा
बिन तेरे जीने को बैठे याद तेरी आ गई