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शिव! ई बाना छोड़ू औ / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
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शिव! ई बाना छोड़ू औ,
बेचू बूढ़ बड़द, लय ट्रैक्टर परती तोड़ू औ।
भारतमे गणतन्त्र भेल अछि बेटा अहिंक गणेश,
कार्त्तिक सेनापति छथि हे, अपने फोलू प्रेस
देशसँ नाता जोड़ू औ।
सक्रिय रहिकय राजनीतिमे जन-सम्पर्क बढ़ाउ,
अपने भाषण खूब करू, जनताकेँ काज अढ़ाउ,
पुरनका धारा मोड़ू औ।
भूत प्रेज, वैताले भोटर, देत अहीकेँ भोट,
अस्सी नम्बर खद्धड़ पहिरू, फेकू फाड़ि लङोट,
भाङ चिन्नी सङ घोरू औ।
बसि कैलाप कपै छी जाड़ेँ तकर प्रयोजन कोन?
‘एयरकणडीशण्ड’ भवनमे रहू लगाकय फोन
ज्ञान गुदरीकेँ गोड़ू औ।
सुलभ ‘मरकरी’ व्यथ्र चन्द्रमा छेकता तखन ललाट,
‘अमर’ लोक धीर पर करू शासन, बनथु भैरव लाट
असुरकेर भण्डा फोड़ू औ।