भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
शिवरात्रि के पर्व कीमहाशिवरात्रि का, अद्भुत, महिमा अगम , अपार।
गौरी से जब शिव मिले, हुआ जगत विस्तार।।
विष भी जग कल्याण को, किया हर्ष स्वीकार।।
सत वाणी,मन, कर्म से, करके शिव का ध्यान।
जीवन में पाता मनुज, खुशियों का वरदान।।
शिव दर्शन की चाह में, लम्बी लगी कतार।।
हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा शिव धाम।
सुर में सारे बोलते, शिव-शंकर का नाम।।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,522
edits