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गौरी से जब शिव मिले, हुआ जगत विस्तार।।
विष भी जग कल्याण को, किया हर्ष स्वीकार।।
सत वाणी,मन, कर्म से, करके शिव का ध्यान।
जीवन में पाता मनुज, खुशियों का वरदान।।
शिव दर्शन की चाह में, लम्बी लगी कतार।।
हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा शिव धाम।
सुर में सारे बोलते, शिव-शंकर का नाम।।
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