भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शीश रामदेव जी ने पागा विराजे / मालवी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:37, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शीश रामदेव जी ने पागा विराजे
पेचा रो अदक सरूप
हाथ मजीरा रामदेव जी ने
खांदे तंदूरा रा अदक सरूप
रूणीजा मंे रमी रया हो
कान में रामदेव जी ने मोती बिराजे
चूनी रो अदक सरूप
गळे रामदेव जी ने कंठी बिराजे
डोरा रो अदक सरूप
अंगे रामदेव जी ने बागी बिराजे
केसर रो अदक सरूप
हात रामदेव जी ने पोंची बिराजे
कड़ा रो अदक सरूप
पांव रामदेव जी ने मोजा बिराजे
मेंदी रो अदक सरूप