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सँवारे है गेसू तो देखा करे है / 'महशर' इनायती

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सँवारे है गेसू तो देखा करे है
वो अब दिल को आईना जाना करे है

न बातें करे है न देखा करे है
मगर मेरे बारे में सोचा करे है

मोहब्बत से वो दुश्मनी है के दुनिया
हवा भी लगे है तो चर्चा करे है

तुम्हारी तरह बे-वफ़ा कौन होगा
हमें वक़्त अब तक पुकारा करे है

गुज़रते तो हम भी हैं उस की गली से
सुना है वो छुप छुप के देखा करे है

इक आती है मंज़िल के हर हुस्न वाला
तमन्नाइयों की तमन्ना करे है

वहाँ ला के छोड़ा है उस ने कि इन्साँ
जहाँ ज़हर खाना गवारा करे है

गिले करते फिरिए के दीवाना बनिए
पड़ी है वो ऐसों की परवा करे है

जो गुंचा सर-ए-शाम चटके तो समझो
किसी पर वफ़ा का तक़ाज़ा करे है

किसी ने उन्हें ये सुझा दी के ‘महशर’
तुम्हें शेर कह कह के रूसवा करे है