भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"संग मेरे हँसोगे ये उम्मीद है / विष्णु सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
संग मेरे हँसोगे ये उम्मीद है।  
 
संग मेरे हँसोगे ये उम्मीद है।  
साथ गम में भी दोगे ये उम्मीद है।  
+
साथ ग़म में भी दोगे ये उम्मीद है।  
  
 
दिन ढला रात ले आयी तन्हाईयाँ
 
दिन ढला रात ले आयी तन्हाईयाँ
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
तुम भी फूलो फलोगे ये उम्मीद है।  
 
तुम भी फूलो फलोगे ये उम्मीद है।  
  
वक्त जैसा भी हो राह कोई भी हो
+
वक़्त जैसा भी हो राह कोई भी हो
 
तुम सम्हल कर चलोगे ये उम्मीद है।  
 
तुम सम्हल कर चलोगे ये उम्मीद है।  
  

18:22, 29 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

संग मेरे हँसोगे ये उम्मीद है।
साथ ग़म में भी दोगे ये उम्मीद है।

दिन ढला रात ले आयी तन्हाईयाँ
तुम भी तारे गिनोगे ये उम्मीद है।

हाथ उठाओ हर एक की मदद के लिए
तुम भी फूलो फलोगे ये उम्मीद है।

वक़्त जैसा भी हो राह कोई भी हो
तुम सम्हल कर चलोगे ये उम्मीद है।

मन से धागा हूँ मैं तन से हो मोम तुम
मैं जलूँ तो गलोगे ये उम्मीद है,

उम्रभर तुमको मैं यूँ ही बाचूँगा पर,
तुम भी मुझको सुनोगे ये उम्मीद है।