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संवाद (मुक्तक) / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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तेरे बिना ये दिल की दुनिया
हो पाती आबाद नहीं।
तेरे बिना मन के भावों का
हो पाता अनुवाद नहीं
मैं तो भीड़ में रहा अकेला
तुम बिन किसने बाँचा मन
सौ बरस-सा दिन लगता
जब होता तुमसे संवाद नहीं