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सगरे समैया कोसिका सुति वैसि गमौले / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सगरे समैया कोसिका सुति वैसि गमौले,
हे भादो मास
मैया फेंकल पलार कि भादो मासे ।
सबहुक नैया कोसिका अमरपुर हे पहुँचल,
कि मोरै नैया
उसर गे लोटावे कि मोरे नैया ।
देबहुं गे कोसिका जोढ़ी गे पाठी कि घर गेने
हे कोसिका चढ़ैवौ पाकल पान मैया घर गेने ।