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"सत्य हो सकता परेशान पराजित तो नहीं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | वेा खुदाई की तरफ़ से कहीं वंचित तो नहीं | ||
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14:12, 16 नवम्बर 2020 का अवतरण
सत्य हो सकता परेशान पराजित तो नहीं
उसके दुश्मन हैं बहुत फिर भी सशंकित तो नहीं
कोई बुधिराम, सुलेमान कोई डेविड है
नाम बेशक हैं जुदा रक्त विभाजित तो नहीं
एक मजदूर का अपना वजू़द होता है
वेा किसी पद, किसी ओहदे पे सुशोभित तो नहीं
रोज़ ईमान का सौदा यहाँ पे होता है
दोष इतना है वो ग़रीब है शापित तो नहीं
एक अदना के पास भी बड़ा दिल हो सकता
वेा खुदाई की तरफ़ से कहीं वंचित तो नहीं
देखना है जो बगा़वत पे उतर आया है
अपने अहलो-अवाल से कहीं चिंतित तो नहीं