भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपनों का घर गिर जायेगा अन्देशा है / ओम प्रकाश नदीम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम प्रकाश नदीम |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:18, 27 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

सपनों का घर गिर जाएगा अन्देशा है
वादे से वो फिर जाएगा अन्देशा है

मेरी तौबा के सूरज पर उसका रुख़
बादल बन कर घिर जाएगा अन्देशा है

ख़ुद्दारी ज़ख़्मी लेकर लौटा है लेकिन
लत फिर लत है फिर जाएगा अन्देशा है

घर तो बन जाएगा लेकिन जाने क्या क्या
दीवारोँ में घिर जाएगा अन्देशा है

ऊँचाई पर जाने का जो ढंग है उसका
रस्ते में ही गिर जाएगा अन्देशा है