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सबने तो लिए तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
 
किसी को किसीको समृद्धि मिली, सुख मिला जी कोकंचन किसीको और कामिनी किसी को किसीको घेर लिया नभ को किसी ने किसीने धरती को
और मैं सभी को चला त्याग, बिना राग
 
 
सबने उढ़ाये अलंकार प्राण-तन को  
बाँट दिया मैंने  दिया मैंने तो निजत्व भी भुवन को
साबुन से धो-धोकर साफ किया मन को
पड़ने दिया न कहीं कोई भी दागदाग़
 
सबने तो लिए तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
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