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सबने तो लिए तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
और मैं सभी को चला त्याग, बिना राग
सबने उढ़ाये अलंकार प्राण-तन को
बाँट दिया मैंने दिया मैंने तो निजत्व भी भुवन को
साबुन से धो-धोकर साफ किया मन को
पड़ने दिया न कहीं कोई भी दागदाग़
सबने तो लिए तो लिये लूट निज-निज भाग
एक निर्विकल्प मैं ही मौन रहा जाग
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