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सब की पूजा एक सी / निदा फ़ाज़ली

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सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाये मौलवी, कोयल गाये गीत


पूजा घर में मूर्ती, मीरा के संग श्याम
जितनी जिसकी चाकरी, उतने उसके दाम


सीता, रावण, राम का, करें विभाजन लोग
एक ही तन में देखिये, तीनों का संजोग


मिट्टी से माटी मिले, खो के सभी निशाँ
किस में कितना कौन है, कैसे हो पहचान