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"सर्द रातों में दिल मचलता है / कर्नल तिलक राज" के अवतरणों में अंतर

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10:18, 15 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

सर्द रातों में दिल मचलता है
दिल में ग़म करवटें बदलता है।

झूठे सपनों में रात बीती है
जाग जाऊँ कि दिन निकलता है।

क्यों फ़िज़ा में है कँपकपी तारी
कौन मन को मेरे मसलता है।

तुम जो आओ तो रोशनी फैले
वरना सूरज तो रोज़ ढलता है।