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"सलाखें न टूटें इन आँखों की जानम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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सलाखें न टूटें इन आँखों की जानम।
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सलाख़ें न टूटें इन आँखों की जानम।
मेरी कैद में तू तेरी कैद में हम।  
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मेरी क़ैद में तू तेरी क़ैद में हम।
  
रहें कैद दोनों ही जब तक रहे दम।
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रहें क़ैद दोनों ही जब तक रहे दम।
खड़ा लेके चाबी भले ही रहे गम।
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खड़ा ले के चाबी भले ही रहे ग़म।
  
 
तू क्या जाने तेरे बदन का ये रेशम।
 
तू क्या जाने तेरे बदन का ये रेशम।
 
मेरी आँख की हर चुभन का है मरहम।
 
मेरी आँख की हर चुभन का है मरहम।
  
न हों तेरी पहली मुहब्बत, नहीं गम।
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न हों तेरी पहली मुहब्बत, नहीं ग़म।
 
हों पर आख़िरी प्यार केवल हमीं हम।
 
हों पर आख़िरी प्यार केवल हमीं हम।
  

12:51, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

सलाख़ें न टूटें इन आँखों की जानम।
मेरी क़ैद में तू तेरी क़ैद में हम।

रहें क़ैद दोनों ही जब तक रहे दम।
खड़ा ले के चाबी भले ही रहे ग़म।

तू क्या जाने तेरे बदन का ये रेशम।
मेरी आँख की हर चुभन का है मरहम।

न हों तेरी पहली मुहब्बत, नहीं ग़म।
हों पर आख़िरी प्यार केवल हमीं हम।

बने हर नदी अंत में ख़ुद समंदर,
नहीं गर यहाँ तो वहाँ होगा संगम।