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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">धूप वाले दिन</div>
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<div style="font-size:15px;"> कवि:[[देवेन्द्र आर्य| देवेन्द्र आर्य]] </div>
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</td>
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</tr>
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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शील ने कितने चुभोए
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कोहरे के पिन
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अलगनी पर टँक गए
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लो, धूपवाले दिन ।
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ठुमकती फिरती वसंती हवा
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<div style="text-align: center;">
उपवन में,
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
गीत गातीं कोयलें
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</div>
मदमस्त मधुबन में ।
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फूल पर मधुमास करता नृत्य
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ता धिन-धिन
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अलगनी पर टँक गए
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लो, धूपवाले दिन ।
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पीतवसना घूमती सरसों
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
लगा पाँखें,
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
मस्त अलसी की लजाती
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अपरिचित पास आओ
नीलमणि आँखें ।
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ताल में धर पाँव
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उतरे चाँदनी पल छिन
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अलगनी पर टँक गए
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लो, धूपवाले दिन ।
+
  
दूर वंशी के स्वरों में
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
गूँजता कानन,
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
वर्जना टूटी
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
खिला सौ चाह का आनन ।
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
श्याम को श्यामा पुकारे
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
साँस भर गिन-गिन
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
अलगनी पर टँक गए
+
लो, धूपवाले दिन ।
+
  
</pre></center></div>
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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</div>
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया