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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
मज़दूर का जन्म</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
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<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवाल]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
हाथी सा बलवान,
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
        जहाजी हाथों वाला और हुआ !
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
सूरज-सा इंसान,
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
        तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
 +
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
माता रही विचारः
+
सबमें अपनेपन की माया
        अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
+
अपने पन में जीवन आया
दादा रहे निहारः
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</div>
        सबेरा करनेवाला और हुआ !!
+
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
 
+
जनता रही पुकारः
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        सलामत लानेवाला और हुआ !
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सुन ले री सरकार!
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        कयामत ढानेवाला और हुआ !!
+
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया