भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div style="background:#eee; padding:30px">
+
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div style="background:#ddd; width:100%; height:450px; overflow:auto; border:3px inset #aaa; padding:10px">
+
<div style="background:#ddd; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px inset #aaa; padding:10px">
  
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000">
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000">

20:13, 30 मार्च 2013 का अवतरण

उनये उनये भादरे

रचनाकार: नामवर सिंह

उनये उनये भादरे
बरखा की जल चादरें
फूल दीप से जले
कि झरती पुरवैया सी याद रे
मन कुयें के कोहरे सा रवि डूबे के बाद रे ।
भादरे ।

उठे बगूले घास में
चढ़ता रंग बतास में
हरी हो रही धूप
नशे-सी चढ़ती झुके अकास में
तिरती हैं परछाइयाँ सीने के भींगे चास में ।
घास में ।