भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँसों में दर्द भरा है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
[[Category: त्रिवेणी]]
+
[[Category: ग़ज़ल]]
  
 
<Poem>
 
<Poem>
  
तुम दुआ करो अपने प्यार के लिए
+
साँसों में दर्द भरा है
मैं दुआ करूँ अपने प्यार के लिए,
+
हर मन्ज़र हरा है
  
फिर देखें दुआ किसकी क़बूल होती है!
+
वह पहली नज़र से
 +
इस दिल में ठहरा है
  
'''रचनाकाल : 2004
+
हर शय में वह है
 +
और उसका चेहरा है
 +
 
 +
दर्द सिमटता नहीं
 +
हाल हर पल बुरा है
 +
 
 +
अंधेरों की आदत नहीं
 +
जुगनुओं का पहरा है
 +
 
 +
वह पसंद है मुझे
 +
उसका दिल गहरा है
 +
 
 +
 
 +
'''रचनाकाल : 2005

06:14, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण


साँसों में दर्द भरा है
हर मन्ज़र हरा है

वह पहली नज़र से
इस दिल में ठहरा है

हर शय में वह है
और उसका चेहरा है

दर्द सिमटता नहीं
हाल हर पल बुरा है

अंधेरों की आदत नहीं
जुगनुओं का पहरा है

वह पसंद है मुझे
उसका दिल गहरा है


रचनाकाल : 2005