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"साकी नही तो जाम क्या / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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चंदा नही तो शाम क्या।
 
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जेा साथ महफिल में न दे,
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उस दोस्त का है काम क्या।
 
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मिलना हमारा हो सुगम,
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फिर शीत क्या, फिर धाम क्या।
 
फिर शीत क्या, फिर धाम क्या।
  
ये मुफ़्त भी, अनमोल भी,
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सागर है इसका दाम क्या।  
 
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गम और मस्ती के सिवा,
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है ज़िंदगी का नाम क्या।
 
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दो वर्ण जो लिखते मजा,
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वे ही न रचते जाम क्या।
 
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17:04, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

साकी नही तो जाम क्या
चंदा नही तो शाम क्या।

जेा साथ महफिल में न दे
उस दोस्त का है काम क्या।

मिलना हमारा हो सुगम
फिर शीत क्या, फिर धाम क्या।

ये मुफ़्त भी, अनमोल भी
सागर है इसका दाम क्या।

गम और मस्ती के सिवा
है ज़िंदगी का नाम क्या।

दो वर्ण जो लिखते मजा
वे ही न रचते जाम क्या।