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Kavita Kosh से
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन! होली आई है!
साजन! होली आई है !यौवन की जय !
जीवन की लय!
गूँज रहा है मोहक मधुमय