भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सितारों से आगे जहाँ और भी हैं / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखक: [[इक़बाल]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:इक़बाल]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=इक़बाल
[[Category:गज़ल]]
+
}}
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
{{KKCatGhazal}}
  
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं<br>
+
<poem>
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं<br><br>
+
  
ताही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें<br>
+
सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं<br><br>
+
अभी इश्क़<ref>प्रेम</ref> के इम्तिहाँ<ref>परीक्षाएँ</ref> और भी हैं
  
कना'अत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर<br>
+
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
चमन और भी, आशियाँ और भी हैं<br><br>
+
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
  
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म<br>
+
क़ना'अत<ref>संतोष </ref>न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू<ref> इन्द्रीय संसार</ref>पर
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुगाँ और भी हैं<br><br>
+
चमन और भी, आशियाँ<ref> घरौंदे</ref>और भी हैं
  
तू शहीं है परवाज़ है काम तेरा<br>
+
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं<br><br>
+
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ<ref> रोने-धोने की जगहें</ref>और भी हैं
  
इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा<br>
+
तू शाहीं<ref>गरुड़ , उक़ाब</ref>है परवाज़<ref>उड़ान भरना</ref>है काम तेरा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं<br><br>
+
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं
  
गए दिन की तन्हा था मैं अंजुमन में<br>
+
इसी रोज़-ओ-शब <ref> सुबह -शाम के चक्कर</ref>में उलझ कर न रह जा
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं <br><br>
+
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ <ref> धरती और मकान</ref>और भी हैं
 +
 
 +
गए दिन के तन्हा था मैं अंजुमन <ref> महफ़िल</ref>में
 +
यहाँ अब मेरे राज़दाँ <ref> रहस्य जानने वाले</ref>और भी हैं
 +
 
 +
</poem>
 +
 
 +
{{KKMeaning}}

21:19, 15 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण


सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़<ref>प्रेम</ref> के इम्तिहाँ<ref>परीक्षाएँ</ref> और भी हैं

तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं

क़ना'अत<ref>संतोष </ref>न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू<ref> इन्द्रीय संसार</ref>पर
चमन और भी, आशियाँ<ref> घरौंदे</ref>और भी हैं

अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ<ref> रोने-धोने की जगहें</ref>और भी हैं

तू शाहीं<ref>गरुड़ , उक़ाब</ref>है परवाज़<ref>उड़ान भरना</ref>है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं

इसी रोज़-ओ-शब <ref> सुबह -शाम के चक्कर</ref>में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ <ref> धरती और मकान</ref>और भी हैं

गए दिन के तन्हा था मैं अंजुमन <ref> महफ़िल</ref>में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ <ref> रहस्य जानने वाले</ref>और भी हैं

शब्दार्थ
<references/>