भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिसक रही झुरमुट में तितली / प्रेमशंकर रघुवंशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कितनी मैली कर दीं नदियाँ
नदियों को
नहलाए कौन?
कितनी कर दी हवा प्रदूषित
साफ़ इसे
करवाए कौन?
चीर हरण किरणों का करते
अणु आयुध के दुर्योधन
प्रक्षेपण की स्पर्धा को
देखें चाँद सितारे मौन
फटे वस्त्र ओज़ोन बदन के
इस चीर पहनाए कौन?
वात पित्त कफ तीनों से ही
शापित हुई जड़ी बूटी
वन की संचित विपुल संपदा
हिंसक हाथों ने लूटी
हरियाली के गीत सभी की -
वाणी में बैठाए कौन?
सिसक रही झुरमुट में तितली
पंछी डाल-डाल रोते
डगर-डगर तत्पर बहेलिए
जाल बिछाए ही होते
झूठ मारता जब तब मौसम
फसलों को सहलाए कौन?