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सुवाल / कृश्न खटवाणी

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तूं केरु आहीं?
ॼमण वेल
अमड़ि पुछियो।

तूं केरु आहीं?
सुहाॻ जी सेज ते
औरत जे निगाहुनि
सुवाल कयो।

तूं केरु आहीं?
मुंहिंजे ॿारनि जा कचिड़ा बदन
पुछन्दा आहिनि हर हर मूं खां।

मां रोज़ पुछन्दो आहियां
पाण खां,
तूं केरु आहीं?

(हिक डिघी सांति- 18.6.86)